बेटी जैसी जब नहीं,
बहू बेटी ही बन जाए;
बेटे की तरह पले नहीं,
बेटी सा ही लाड़ पाए;
बड़ी बहन छोटे भाई की
रक्षा का प्रण उठाए
बेटी पढ़ाओ… का नारा
‘बच्चों को पढ़ाओ’ बन जाए
माँ भी साथ बैठ सभी के
गर्म भोजन ही खाए
नारी सशक्तीकरण केवल
चुनावी नारा न रह जाए
कितना ही अच्छा हो
नारी इतना सम्मान पाए
कि उसे सम्मानित करने
कोई 8 मार्च न आए