एक वो दिन, जब भी रसोई में जाते थे तब खाते थे;
एक ये दिन, जब भूखे ही दिन रसोई में गुज़रता है ।
एक वो दिन, जब हर पल घर की चीज़ें सजी रहती थीं;
एक ये दिन, जब रोज़ हमेशा हर पल घर बिखरता है।
एक वो दिन, जब छोटी चोट भी बड़ा घाव बतलाते थे;
एक ये दिन, जब दिल के घाव भी सभी से छुपाते हैं ।
एक वो दिन, जब हर इक छोटी बात पे डाँट खाते थे,
एक ये दिन, जब हम बड़ों को बड़ी बातें समझाते हैं ।
एक वो दिन, जब मीठी झिड़की पे आँसू की नदियाँ बहती थीं;
एक ये दिन, जब बहुत दुखी हों , तब इक आंसू बहता है ।
एक वो दिन, जब घर में छोटी छोटी खुशियाँ बँटती थी;
एक ये दिन, जब इक भारी सदमा सबके दिल में रहता है ।
एक वो दिन, जब लगता था अब कभी न खुशी जायेगी ;
एक ये दिन, जब लगता है अब कभी हँसी न आयेगी।
एक वो दिन, जब माँ से लोरी सुनकर ही सोते थे;
एक ये दिन, जब सोते हैं कि ख्वाबों में माँ आयेगी।