आँखों में मेरी झांक कर वो जो मुस्कुराये हैं,
रख खुद पे ज़रा काबू एे दिल ,
वो शायद आईना समझ के आये हैं
मोहब्बत है मुकम्मल , आज यूँ साबित ये बात हुई;
याद वो आये तो यूँ लगा, जैसे अभी अभी मुलाकात हुई ।
अक्सर खुद से मिलकर कुछ समझा कुछ समझाया भी,
कि जिसे खो कर दिल रो दिया, क्या उसे कभी पाया भी!
वो शक्स दोगुला तो नहीं, बस दो हिस्सों में बँट गया;
पीछे भी वो छूट गया, और मेरे साथ वो आया भी ।
दुनिया ने कभी हमसे हमारी रज़ा न पूछी;
जिसने चाहा याद किया, जब चाहा भुलाया भी ।
रूठना और मनाना दोनों प्यार की हैं अदाएं अगर;
क्यूँ हम ही रूठे हर बार, और हम ही ने मनाया भी???
- माँ की पोटली / बस इतना बता दे:
- एक वो दिन