(अगर तू घर से जा रही है)
तेरी पोटली में होंगे तेरे एक जोड़ी पुराने कपडे जो बहुत पहले किसी ने तुझे ला कर दिये होंगे । और इस में होगी पूरे परिवार की एक तस्वीर, बच्चों की आढ़ी- टेढ़ी लिखावट या चित्रकारी वाले पन्ने और तेरी बेटी की सबसे पहली गुङिया या फिर शादी के बाद दिया हुआ तेरे पति का सबसे पहला तोह्फ़ा- वो चूडियाँ, जो इतने सालों में तूने कुल तीन चार बार ही पहनी होंगी, इस डर से कि वो टूट ना जायें। अब तुझे इनकी ज़रूरत भी नहीं फिर भी तू इन्हे सीने से लगाये रखती है क्यूंकि ये याद हैं उसकी जो अब तेरे साथ नहीं, जिसके जाते ही तेरे बच्चों ने तुझसे मुँह मोड़ लिया। उनके बड़े से घर में तेरी जगह हो न हो, तेरी पोटली में बहुत जगह है- इस में समेट लिया है तूने, तेरा पूरा जीवन, तेरा परिवार, उन सब की यादें और उनकी निशानियां, लेकिन
(अगर तू घर आ रही है)
तेरी पोटली में होंगे दो-तीन कुर्ते— बेटे के और पोते के नाप के, बेटी और बहू के लिये चूड़ियाँ भी होंगी, रंग-बिरंगी चूड़ियाँ, जिन्हे पहन कर वे इठलाती हुइ घूमेंगी और जिनकी खन-खन से वे घर भर में खुशियाँ बिखेर देंगी। इस पोटली में होंगे बच्चों के लिये खिलौने, जिन्हें देख उनके चेहरे पे जो मुस्कान आयेगी, उससे तेरी सब थकन मिट जायेगी। तू सब के लिये कुछ न कुछ तो लायी होगी, केवल खुद के लिये ही कुछ न लेकर थोड़े पैसे बचा लिये होंगे तूने; जिन्हें त्योहार पर बच्चो के हाथ पर रखते हुए तुझे सबसे बड़ी खुशी मिल जायेगी। तेरा त्योहार तो सबकी खुशी में ही है.
अब बस इतना बता दे माँ —तू खुशी बन कर अपने घर आ रही है या बरकत बन कर अपने घर से जा रही है? बस इतना बता दे माँ।